शिया और सुन्नी और भी बहुत से कुनबो में हम बँटे हुए है और हमारी हदीस में कही भी शिया सुन्नी का जिक्र नहीं आया है सिर्फ मोमिन का आया है हम सिर्फ मोमिन है इन्ही आपसी मतभेदों के कारण हमलोग आज पीछे और कमजोर होते जा रहे है और इस चीज़ का दुसरे लोग फायदा उठाते है और इसके चलते हमारी गिनती कम होती जा रही आपस में बंट जाने के कारण हम कमजोर हो चुके.जैसे जब कोई जलसा होता है तो हम सब उसमे शरीक नहीं होते है क्योंकी वो दुसरे कुनबे का होता है जिसमे हम नहीं जाते है जिससे हमारी जनसँख्या कम दिखाई देती है लेकिन हम मानते तो सिर्फ अल्लाह को ही है भले ही किसी भी कुनबे के हो हम इबादत हम उसके सिवाए हम किसी की नहीं करते है.
अल्लाह हम सबको साथ में मिलजुल कर रहने की तौफीक अता फरमाए. "आमीन"
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